Tuesday, July 7, 2020

उत्तर प्रदेश : भूमिगत जल हुआ ज़हर - अनिल सिन्दूर



# 63 जनपदों के भूमिगत जल में फ्लोराइड, 25 जनपदों के भूमिगत जल में आर्सेनिक एवं 18 जनपदों के भूमिगत जल में फ्लोराइड –आर्सेनिक दोनों  मानक से अधिक
# वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उप्र ने आरटीआई के जबाव में जियोग्राफिकल क्वालिटी टेस्टिंग सर्वे से आई रिपोर्ट की दी  जानकारी
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के 63 जनपदों के भूमिगत जल में मानक से अधिक फ्लोराइड, 25 जनपदों के भूमिगत जल में आर्सेनिक तथा 18 जनपदों के भूमिगत जल में फ्लोराइड एवं आर्सेनिक दोनों मानक से कई गुना अधिक है. यह खुलासा एक आरटीआई के जबाव में वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उप्र से हुआ है. पीने के पानी में मानक से अधिक फ्लोराइड तथा आर्सेनिक आने से गंभीर बीमारी के खतरे बढ़ गये हैं. जियोग्राफिकल क्वालिटी टेस्टिंग सर्वे रिपोर्ट की भयावता  को देखते हुये जिस रिपोर्ट को पोर्टल के माध्यम से सार्वजनिक होना था उसे आज तक नहीं किया गया.

            केंद्र सरकार ने पीने के पानी की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुये वर्ष 2015-16 में 150 करोड़ की धनराशि वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उप्र को दी जिससे वह उप्र के प्रत्येक गांवों, कस्बों एवं शहरों के पीने के पानी के स्रोतों की जियोग्राफिकल क्वालिटी टेस्टिंग सर्वे करवाये और इस रिपोर्ट को पोर्टल के माध्यम से सार्वजानिक करे. केंद्र सरकार ने यह भी आदेश दिया कि इस रिपोर्ट की एक हार्ड तथा सॉफ्ट  कापी जनपदों के जिला विकास अधिकारी को भी दी जाय जिससे वह भी अपने स्तर पर कारगर उपाय कर सकें. वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उप्र ने दो एजेन्सियों को इस कार्य को सौंपा जिसमें एक ADCC Infocad Pvt. Ltd. Nagpur थी. एजेंसिओं ने अपनी सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी प्रदेश के सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी को दी तथा सॉफ्ट कॉपी वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उप्र को दी. इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 63 जनपदों में फ्लोराइड  मानक से अधिक 3 पीपीएम तक है एवं आर्सेनिक 25 जनपदों में मानक से अधिक 1 पीपीएम तक है. जनपदों के विकास अधिकारियों को सर्वे रिपोर्ट का 60 प्रतिशत सत्यापन अपने स्तर पर करवाना था लेकिन अधिकतर जनपदों में यह सर्वे रिपोर्ट आजतक अलमारियों में बन्द है. सर्वे रिपोर्ट को राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को सॉफ्ट कॉपी का उपयोग करते हुये पोर्टल तैयार करना था लेकिन पोर्टल भी तैयार नहीं किया जा सका.

            भारतीय मानक ब्यूरो अनुसार पीने के पानी में फ्लोराइड की वांछनीय मान्य सीमा 1.0 पीपीएम तथा अधिकतम मान्य  सीमा 1.5 पीपीएम तथा आर्सेनिक की मान्य सीमा 0.01 पीपीएम तथा अधिकतम मान्य सीमा 0.05 पीपीएम है. वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन, उप्र ने आरटीआई में जानकारी दी है कि फ्लोराइड से प्रभावित जनपदों अधिक 3 पीपीएम तक है. मानक से अधिक पीने के पानी में फ्लोराइड से घातक रोग फ्लोरोसिस हो जाता है जो दन्त क्षरण, जोड़ों में अकड़न तथा हड्डियों में मुड़ाव ला देता है. इसीतरह पीने के पानी में मानक से अधिकतम आर्सेनिक  1 पीपीएम तक है  आर्सेनिक  त्वचा रोग एवं कैंसर देता है. फ्लोराइड तथा आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों में नागरिकों पर पड़े प्रभावों तथा परिणामों का मूल्यांकन मिशन के स्तर से तो कराया ही नहीं गया स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस सर्वे रिपोर्ट पर कोई कार्य नहीं किया. आरटीआई से मिली जानकारी की सूचना रजिस्टर्ड डाक द्वारा प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को भेजी गयी. प्रधानमन्त्री कार्यालय ने इस सूचना को शिकायत मानते हुये मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर निस्तारण को प्रेषित कर दी. प्रधानमन्त्री कार्यालय ने सन्दर्भ संख्या PMOPG/D/2019 दिया जबकि मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत को सन्दर्भ संख्या  6000190107115 दिया गया. प्रधानमन्त्री कार्यालय से भेजी गयी शिकायत को तीन माह बाद बिना समझे, बिना पढ़े ही कानपुर नगर से निस्तारित कर दिया गया. 
    
            नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश की 84 प्रतिशत आबादी को सुरक्षित नलों से घरों तक पानी उपलब्ध नहीं कराया जाता है. पीने का 90 प्रतिशत पानी हेंड पम्प या सबमर्शिबल के माध्यम से जमीन के अन्दर से ही लिया जाता है. अतिदोहन के चलते भूमिगत जलस्तर ख़त्म होने की कगार पर पहुँच गया है जिसके परिणाम स्वरुप पानी में ऐसे तत्व आ रहे हैं जो मानक से अधिक हैं.   
 फ्लोराइड प्रभावित जनपदों की सूची – आगरा, अलीगढ़, अम्बेडकर नगर, अमेठी, औरैया, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बाँदा, बाराबंकी, बिजनौर, बदायूँ , बुलंदशहर, चन्दौली, चित्रकूट, एटा, इटावा, फैज़ाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फ़िरोज़ाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, गाज़ीपुर, गोंडा, हमीरपुर, हापुड़, हरदोई, जालौन, जौनपुर, झाँसी, ज्योतिबाफुलेनगर, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, कौशाम्बी, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, महामायानगर, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ,  मिर्ज़ापुर, मुज़फ्फरनगर, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संभल, संतकबीर नगर, संतरविदास नगर, शाहजहाँपुर, शामली, श्राबस्ती, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव तथा  वाराणसी             
आर्सेनिक प्रभावित जनपदों कि सूची – अलीगढ़, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, देवरिया, फैज़ाबाद, गाज़ीपुर, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, झाँसी, ज्योतिबाफुलेनगर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, महाराजगंज, मथुरा, मिर्ज़ापुर, पीलीभीत,  संतकबीर नगर, शाहजहाँपुर, सिद्धार्थ नगर, सीतापुर तथा  उन्नाव
आर्सेनिक तथा फ्लोराइड दोनों से प्रभावित जनपदों की सूची- अलीगढ़, बहराइच,  बाराबंकी, फैज़ाबाद, गाज़ीपुर, गोंडा, जौनपुर, झाँसी, ज्योतिबाफुलेनगर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, महाराजगंज, मथुरा, मिर्ज़ापुर,  संतकबीर नगर, शाहजहाँपुर,  सीतापुर तथा  उन्नाव
            जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान उप्र वाटर एण्ड सेनिटेशन प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट को अभी पोर्टल पर नहीं डाला जा सका है जल्द ही टेंडर कर सर्वे रिपोर्ट  पोर्टल पर डाली जायेगी जिससे आम आदमी सर्वे रिपोर्ट को देख सकेगा.


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