# भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएफएसआर) - 2019 की
16वीं रिपोर्ट में खुलासा
#
भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून की
टीम ने वृक्षारोपण महाकुम्भ 2019-20 का किया मूल्यांकन एवं निरीक्षण
#
वृक्षारोपण महाकुम्भ 2019-20 में प्रदेश में हुआ था 22.46 करोड़ पौधरोपण
#
वर्ष 2020-21 में पौधरोपण का लक्ष्य 25 करोड़
उप्र राज्य क्षेत्रफल एवं जनसँख्या की दृष्टि से
देश में सबसे बड़ा होने के नाते लक्ष्य भी सबसे बड़ा रखता है लेकिन और राज्यों की
अपेक्षा पौधरोपण में उप्र हमेशा से बहुत पीछे रह जाता है. ये भारत वन स्थिति
रिपोर्ट (आईएफएसआर) – 2019, 16वीं रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उप्र में करोड़ों
पौधरोपण के वावजूद हरित क्षेत्र (वनावरण एवं वृक्षावरण) में बढ़ोत्तरी सिर्फ 0.01
प्रतिशत हुई है. यह रिपोर्ट पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन
कार्य करने वाली संस्था भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून द्वारा भारतीय
दूरसंवेदी उपग्रह रिसोर्स सेट-2 से प्राप्त आंकड़ो के आधार पर की जाती है. भारत वन स्थिति रिपोर्ट – 2017 में कुल हरित
क्षेत्र 9.18 प्रतिशत था जो कि वर्ष 2019 में बढ़ कर 9.19 प्रतिशत हो गया है. यह
रिपोर्ट दो वर्ष के अन्तराल में बनायी जाती है. प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017-18 में
पौधरोपण का लक्ष्य 6.54 करोड़, 2018-19 में पौधरोपण
का लक्ष्य 9 करोड़ तथा वर्ष 2019-20
पौधरोपण का लक्ष्य 22.46 करोड़ रखा था. तीन
वर्षों में 38 करोड़ पौधरोपण के वावजूद प्रदेश के हरित क्षेत्र में मात्र 0.01
प्रतिशत ही बढ़ोत्तरी हो सकी है. इस वर्ष योगी सरकार 25 करोड़ पौधों को रोपित कर एक
बार फिर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की कोशिश करेगी.
बीते वर्ष वृक्षारोपण महाकुम्भ की अग्नि
परीक्षा को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष ने थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग
कराये जाने का निर्णय लिया था. निर्णय की गंभीरता को देखते हुये प्रदेश के सभी
जिलाधिकारी /अध्यक्ष जिला वृक्षारोपण समिति को शासनादेश भी दिया गया था कि वह
वृक्षारोपण की थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग को आ रही भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान
देहरादून टीम का सहयोग करे. लेकिन भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून की 27 टीम
लगभग 7 माह देरी से 17 फरवरी 2020 को मूल्यांकन एवं निरीक्षण को रवाना हुई.
उप्र की योगी सरकार ने भारत छोड़ो
आन्दोलन की 77वीं वर्षगांठ के अवसर पर वृक्षारोपण महाकुम्भ 2019-20 को गिनीज बुक ऑफ़
वर्ल्ड रिकोर्ड में दर्ज कराने को 22.46 करोड़ पोंधों को रोपित करने का दृढ़ संकल्प
लिया था जिसे तय समय सीमा तक 22,37,46,180 करोड़ पौधे रोपित करने का दावा किया गया
था. गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड के अधिकारियों ने प्रयागराज प्रशासन को इतने कम
समय में 66000 पौधों के वितरण को विश्व रिकॉर्ड मानते हुये गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड
रिकोर्ड में दर्ज़ कर प्रयागराज प्रशासन को गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड सर्टिफ़िकेट
से 9 अगस्त 2019 को नवाज़ा था लेकिन उप्र
में होने वाले वृक्षारोपण महाकुम्भ को गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड में दर्ज़ नहीं
किया था. मुख्य मन्त्री योगी आदित्यनाथ ने
वृक्षारोपण महाकुम्भ की शुरुआत प्रयागराज से की थी. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में 24 घन्टे में 5 करोड़ पेड़ 6166
जगह लगाने का गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड 2016-17 अखिलेश यादव सरकार के नाम दर्ज़
है.
उप्र सरकार के मुख्य सचिव ने एक आदेश
में वृक्षारोपण महाकुम्भ 19-20 में 22.46 करोड़ पौधों को रोपित करने का दावा किया
है जिसमें वन विभाग द्वारा 7,609 स्थलों पर 6.74 करोड़ पौधों तथा अन्य विभागों
द्वारा 56,502 ग्राम पंचायतों में 12,24,665 स्थलों पर 15.90 करोड़ पौधे रोपित होना
दर्शाया है. उन्होंने इस आदेश में रोपित पौधों को जीवित रखने का निर्देश देते हुये
कहा है कि इस वर्ष ग्राम पंचायतों में 02 श्रेणियों में वृक्षारोपण कराया गया है.
श्रेणी 01 में ऐसे कृषक या व्यक्ति जिनके स्वं के संसाधनों द्वारा वृक्षारोपण किया
गया तथा 02 श्रेणी ऐसे किसान या व्यक्ति हैं जिन्हें उनकी इच्छा की प्रजाति के
पौधे वन विभाग द्वारा उपलब्ध करवाया गया, उनका रोपण उनकी भूमि पर ग्राम पंचायत
द्वारा करवाया गया.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक और
विभागाध्यक्ष उप्र ने 05 अक्टूबर 2019 को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों /अध्यक्ष
जिला वृक्षारोपण समिति उप्र को आदेश दिया है कि वृक्षारोपण महाकुम्भ 2019-20 में
कराये गये समस्त वृक्षारोपण का मूल्यांकन एवं निरीक्षण करने को अगले सप्ताह से
थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग टीम भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून से आ रही है.
जनपद की जिला वृक्षारोपण समिति मॉनिटरिंग टीम को पूर्ण सहयोग करे जिससे मूल्यांकन
एवं निरीक्षण का कार्य ठीक तरह से सम्पादित हो सके. लेकिन भारतीय सर्वेक्षण
संस्थान देहरादून की 27 टीम 17 फरवरी 2020 को उप्र के सभी 75 जनपदों को रवाना हो
सकी.
उत्तर प्रदेश के प्रधान
मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष उप्र के
आदेश की जमीनी हक़ीकत जानने को जब भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून के उप-निदेशक प्रकाश लखचौरा से जानकारी माँगी तो
उन्होंने बताया कि अपरिहार्य कारणों वश कुछ देरी से उप्र में वृक्षारोपण महाकुम्भ
19-20 के मूल्यांकन को 27 टीम 17 फरवरी 2020 को रवाना हुईं थी. उन्होंने बताया कि
संस्थान को यह कार्य एक प्रोजेक्ट के तहत दिया गया था. इस सर्वे में संस्थान को ये
पता लगाना था कि कितने क्षेत्रफल में पौधरोपण हुआ था, किस एजेंसी ने कितने पेड़
लगाये थे तथा पौधरोपण का सर्वाइवल कितना है. यह सारी सर्वे रिपोर्ट उप्र सरकार के
प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष उप्र को भेज दी गयी है.
डॉ. राजीव गर्ग प्रधान
मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष उप्र से जब भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान
देहरादून द्वारा वृक्षारोपण महाकुम्भ 2019-20 के मूल्यांकन एवं निरीक्षण के परिणाम
के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान
देहरादून ने जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार वृक्षारोपण 2019-20 का सर्वाइवल औषत 75
प्रतिशत से 90 प्रतिशत है तथा जिन 26 एजेंसियों ने वृक्षारोपण किया था उनका औषत 70
प्रतिशत से 95 प्रतिशत रहा है. जब उनसे पूछा कि आईएफएसआर 16वीं
रिपोर्ट के अनुसार करोड़ों की संख्या में वृक्षारोपण के बाद भी हरित क्षेत्र में
0.01 प्रतिशत की ही वृद्धी हुई है, तो उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र को आंकलन करने
की जो हमारे पास तकनीक है वो इतनी समृद्ध नहीं है जो एक से दो वर्ष अन्तराल के
पौधों का सही आंकलन कर सके.